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सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤¾à¤•à¥à¤·à¤¿à¤• à¤à¤¸à¥à¤® का मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ पर चिकितà¥à¤¸à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ- à¤à¤• नैदानिक अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
*Dr. Satya Prakash Gautam (Asso. Prof. - Kaya Chikitsa)
. Abstract आयुर्वेदीय संहिता ग्रंथों में मधुमेह रोग का विस्तार से वर्णन मिलता है। सर्व प्रथम चरक संहिता से यह प्रारम्भ किया जा रहा है। (I) चरक संहिता (ई.पू. 200 वर्ष) चरक संहिता में मधुमेह का सांगोपांग विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है। आचार्य चरक ने निदान स्थान अध्याय 4 में प्रमेह निदानाध्याय नाम से पूरे अध्याय का वर्णन किया है। अथात् प्रमेहं निदानं व्याख्यास्यामः इतिह स्याह भगवानात्रेय। चरक संहिता के सूत्रस्थान, निदानस्थान, विमानस्थान, शारीरस्थान एवं इन्द्रियस्थान, चिकिस्ता कल्पादि स्थानों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में अनेक सन्दर्भों में प्रमेह तथा मधुमेह वयाधि का उल्लेख मिलता है। Keywords: . [Full Text Article] [Download Certificate] |
